फर्जीवाड़े पर लगेगा ब्रेक – अब ऑनलाइन होगी जमीन रजिस्ट्री! Online Land Registry

Online Land Registry: “ज़मीन तो बाप-दादा की है…” ऐसा कहते हुए कई लोग कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते हैं। भारत में ज़मीन को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। कहीं एक ज़मीन दो लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड निकलती है, तो कहीं बिना जानकारी के ही किसी की ज़मीन बेच दी जाती है। ऐसे मामलों से निपटने के लिए अब सरकार ने एक बड़ा और भरोसेमंद कदम उठाया है। अब ज़मीन की रजिस्ट्री पूरी तरह ऑनलाइन की जाएगी, जिससे पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही, साथ ही फर्जीवाड़ों पर भी रोक लगेगी।

शुरुआत

देश के कई राज्यों में पहले से ही ज़मीन से जुड़े दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर रजिस्ट्री की प्रक्रिया को भी पूरी तरह डिजिटल करने की योजना पर काम कर रही है। इसका मतलब है कि अब आपको किसी बिचौलिए या दलाल के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मोबाइल या कंप्यूटर से घर बैठे ही आप रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरा कर पाएंगे।

पारदर्शिता

ऑनलाइन रजिस्ट्री का सबसे बड़ा फायदा यही है कि अब सब कुछ ट्रैक किया जा सकता है। कौन ज़मीन खरीद रहा है, कौन बेच रहा है, कितनी कीमत पर – यह सभी जानकारी सरकारी पोर्टल पर दर्ज होगी। इससे गलत दस्तावेज, फर्जी हस्ताक्षर, और डुप्लिकेट एंट्री जैसी दिक्कतें खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। हर लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा, जो कोर्ट में भी मान्य होगा।

राहत

अब तक ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए घंटों लाइन में लगना, बार-बार ऑफिस के चक्कर लगाना और एजेंट को मोटी फीस देना आम बात थी। लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया से अब इन सब से मुक्ति मिलेगी। बुजुर्ग, महिलाएं और दूर-दराज के लोग जो रजिस्ट्रार ऑफिस नहीं जा सकते थे, वे अब अपने घर से ही रजिस्ट्री करवा सकेंगे। इससे समय, पैसा और ऊर्जा – तीनों की बचत होगी।

सुरक्षा

कई बार देखा गया है कि किसी की ज़मीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए कब्ज़ा कर लिया जाता है। डिजिटल रजिस्ट्री में दस्तावेजों की जांच और सत्यापन तुरंत हो पाएगा। आधार कार्ड, पैन नंबर और मोबाइल OTP जैसे सिस्टम की मदद से व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित की जाएगी। इससे फर्जी खरीद-बिक्री लगभग नामुमकिन हो जाएगी।

प्रक्रिया

ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए सरकार एक साझा पोर्टल बना रही है, जहां ज़मीन से जुड़े सभी रिकॉर्ड उपलब्ध होंगे। खरीदार और विक्रेता दोनों को वहां लॉगिन करना होगा, फिर अपनी पहचान वेरीफाई करनी होगी। उसके बाद ज़मीन के दस्तावेज, रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी का भुगतान पोर्टल से ही किया जाएगा। अंत में e-Sign के ज़रिए दस्तावेजों की पुष्टि होगी और रजिस्ट्री पूरी मानी जाएगी।

बदलाव

यह कदम सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं है, यह सोच में बदलाव है। वर्षों से चली आ रही परंपरा अब आधुनिक रूप ले रही है। अब गांव का किसान भी ऑनलाइन रजिस्ट्री करवा सकेगा और बड़े शहर का व्यापारी भी उसी सिस्टम का उपयोग करेगा। इससे पूरा सिस्टम एक जैसा और निष्पक्ष बनेगा, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश न के बराबर रह जाएगी।

आगे क्या

सरकार इस योजना को 2025 के अंत तक देशभर में लागू करने की योजना बना रही है। कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे शुरू कर दिया गया है और वहां से बहुत सकारात्मक परिणाम मिले हैं। लोगों का विश्वास इस प्रक्रिया पर बढ़ा है और भ्रष्टाचार की घटनाएं कम हुई हैं। यही वजह है कि अब इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी हो रही है।

निष्कर्ष

ज़मीन से जुड़ा हर फैसला इंसान के जीवन को प्रभावित करता है – चाहे वो एक छोटा किसान हो या बड़े शहर का मकान मालिक। रजिस्ट्री प्रक्रिया का डिजिटल होना केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है – हर नागरिक को सुरक्षित और पारदर्शी सेवा देना। अब जब हर कदम टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहा है, तो यह फैसला न सिर्फ समय की मांग है, बल्कि एक सही दिशा की ओर बढ़ता भारत भी है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न सरकारी योजनाओं, मीडिया रिपोर्ट्स और संबंधित विभागों के बयानों पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक कार्यवाही से पहले संबंधित पोर्टल या सरकारी विभाग से जानकारी की पुष्टि अवश्य करें। यह लेख सामान्य जानकारी और जनहित के उद्देश्य से लिखा गया है।

Leave a Comment

Join WhatsApp WhatsApp Icon