चेक पर पीछे साइन करना सही है या गलत? जानिए बैंक का असली नियम! Bank Cheque Latest Rule

Bank Cheque Latest Rule: बैंकिंग लेन-देन में चेक एक अहम दस्तावेज होता है, और उस पर किया गया हस्ताक्षर इसकी वैधता और सुरक्षा तय करता है। लेकिन कई बार लोग यह भ्रम पाल लेते हैं कि चेक के पीछे भी हस्ताक्षर करना जरूरी होता है। तो सवाल उठता है क्या चेक के पीछे हस्ताक्षर करना सही है या गलत? इसका उत्तर पूरी तरह से उस परिस्थिति पर निर्भर करता है जिसमें चेक का इस्तेमाल हो रहा है।

चेक पर हस्ताक्षर के नियम: क्या आप सही तरीके से साइन कर रहे हैं?

चेक पर सही तरीके से हस्ताक्षर करना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर हस्ताक्षर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होती है जैसे कि गलत स्थान पर साइन करना या बैंक में दर्ज हस्ताक्षर से मेल न खाना तो चेक को बैंक अस्वीकृत (Dishonored) कर सकता है।

चेक के पीछे हस्ताक्षर कब जरूरी होते हैं?

आमतौर पर चेक के पीछे हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह जरूरी हो सकता है:

  1. एंडोर्समेंट (Endorsement) के लिए
    जब चेक को किसी और व्यक्ति या संस्था को ट्रांसफर किया जाता है, तो चेक के पीछे हस्ताक्षर करके उस व्यक्ति को अधिकार दिया जाता है कि वह उस चेक की राशि प्राप्त कर सके। इसे “एंडोर्स करना” कहते हैं।
  2. बैंक की पुष्टि के लिए
    कुछ मामलों में, जैसे कि जब कोई और आपके नाम का चेक जमा कर रहा हो, तो बैंक अतिरिक्त पुष्टि के लिए चेक के पीछे साइन की मांग कर सकता है।
  3. क्लियरिंग हाउस प्रक्रिया में
    कुछ बैंकिंग प्रक्रियाओं में क्लियरिंग हाउस के लिए पीछे हस्ताक्षर की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह स्थिति बहुत आम नहीं होती।

चेक पर गलत तरीके से हस्ताक्षर करने से क्या हो सकता है?

  • चेक रिटर्न हो सकता है।
  • आपके खाते से अनावश्यक शुल्क कट सकते हैं।
  • भविष्य में बैंक के साथ आपके संबंध प्रभावित हो सकते हैं।

इसलिए चेक पर हस्ताक्षर करते समय विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।

चेक पर सही हस्ताक्षर कैसे करें?

  1. सिर्फ निर्धारित स्थान पर ही हस्ताक्षर करें
    चेक के नीचे दिए गए सिग्नेचर बॉक्स में ही साइन करें।
  2. बैंक में दर्ज हस्ताक्षर से मेल खाएं
    बैंक के रिकॉर्ड में जो साइन आपने दर्ज कराए हैं, वही सिग्नेचर चेक पर होने चाहिए।
  3. ओवरराइटिंग से बचें
    चेक पर कुछ भी काटना, बदलना या ओवरराइट करना सुरक्षा की दृष्टि से गलत माना जाता है।
  4. स्पष्ट और स्थायी स्याही का इस्तेमाल करें
    पेंसिल, स्केच पेन या मिटने वाली स्याही का उपयोग बिल्कुल न करें।

पॉजिटिव पे सिस्टम: सुरक्षित लेन-देन का नया तरीका

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चेक के ज़रिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम लागू किया है।

यह सिस्टम कैसे काम करता है?

जब आप ₹5 लाख या उससे अधिक राशि का चेक जारी करते हैं, तो आपको चेक की महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि चेक नंबर, तारीख, प्राप्तकर्ता का नाम और राशि अपने बैंक को पहले से देनी होती है। बैंक इस जानकारी को चेक क्लियर होने से पहले वेरीफाई करता है।

किन चेकों पर लागू होता है?

  • ₹5 लाख या अधिक राशि वाले चेक पर यह सिस्टम अनिवार्य है।
  • कुछ बैंक ₹50,000 से अधिक राशि पर भी यह सुविधा ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं।

क्या यह हर बैंक में लागू है?

हां, भारत के अधिकतर प्रमुख बैंक इस प्रणाली को अपना चुके हैं। हालांकि, इसकी प्रक्रिया हर बैंक में थोड़ी अलग हो सकती है, इसलिए अपने बैंक की वेबसाइट या ब्रांच से जानकारी लेना उचित होगा।

चेक से जुड़ी सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी सुझाव

  1. चेक को सावधानीपूर्वक भरें
    सभी जानकारियां स्पष्ट रूप से भरें। तारीख, राशि (अंकों और शब्दों में), लाभार्थी का नाम सबकुछ बिना गलती के लिखा जाना चाहिए।
  2. ओवरराइटिंग से बचें
    अगर कोई गलती हो जाती है, तो नया चेक भरें। पुराने चेक को काटकर जमा करना जोखिमभरा हो सकता है।
  3. डिजिटल विकल्पों को प्राथमिकता दें
    जहां संभव हो, ऑनलाइन बैंकिंग, UPI, NEFT या RTGS जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करें।
  4. चेक बुक सुरक्षित रखें
    अपनी चेक बुक को किसी के साथ शेयर न करें और उपयोग के बाद उसे सुरक्षित जगह पर रखें।
  5. चेक पर “A/C Payee” और “Not Negotiable” लिखें
    इससे चेक का गलत हाथों में इस्तेमाल होने का खतरा कम हो जाता है।

निष्कर्ष

आम परिस्थितियों में चेक के पीछे हस्ताक्षर करना जरूरी नहीं है। लेकिन कुछ खास स्थितियों जैसे एंडोर्समेंट या बैंक द्वारा मांगी गई पुष्टि में यह आवश्यक हो सकता है। अगर आप किसी भी संदेह में हैं कि आपको चेक के पीछे साइन करना है या नहीं, तो सबसे अच्छा उपाय है कि आप अपने बैंक से संपर्क करें।

सही जानकारी, सावधानी और बैंक के नियमों का पालन करके आप अपने लेन-देन को सुरक्षित बना सकते हैं। और अगर संभव हो, तो डिजिटल बैंकिंग को अपनाकर फ्रॉड की संभावना को और भी कम किया जा सकता है।

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