ATM Charges Hike: 1 जुलाई से देश के कई प्रमुख निजी बैंकों ने एटीएम ट्रांजैक्शन और अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया है। HDFC बैंक और ICICI बैंक जैसे बड़े नामों ने इस बदलाव की घोषणा की है, जिससे करोड़ों बैंक ग्राहकों को अपनी बैंकिंग आदतों पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है। बैंकों का कहना है कि यह कदम बढ़ती लागत और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
क्या बदलने जा रहा है?
बढ़े हुए शुल्क कई प्रकार की सेवाओं पर लागू होंगे। आइए जानते हैं प्रमुख बदलाव:
1. एटीएम ट्रांजैक्शन शुल्क में इज़ाफा
अब ICICI बैंक के ग्राहक, अन्य बैंकों के एटीएम से महीने में तीन मुफ्त ट्रांजैक्शन के बाद, वित्तीय लेन-देन पर ₹23 और गैर-वित्तीय लेन-देन पर ₹8.5 चुकाएंगे। पहले यह शुल्क ₹21 था। यह बढ़ोतरी उन लोगों के लिए खास तौर पर मायने रखती है जो बार-बार एटीएम का इस्तेमाल करते हैं।
2. HDFC क्रेडिट कार्ड से गेमिंग और वॉलेट रिचार्ज पर अतिरिक्त शुल्क
HDFC बैंक ने क्रेडिट कार्ड यूज़ करने वाले ग्राहकों के लिए नई शुल्क नीति लागू की है। अब अगर ग्राहक ऑनलाइन गेमिंग, डिजिटल वॉलेट लोडिंग या यूटिलिटी बिल का भुगतान क्रेडिट कार्ड से करते हैं, तो उन्हें इन पर 1% अतिरिक्त शुल्क देना होगा। हालांकि, इस शुल्क की अधिकतम सीमा ₹4,999 प्रति माह तय की गई है।
3. डेबिट कार्ड का सालाना शुल्क बढ़ा
ICICI बैंक ने अपने डेबिट कार्ड का वार्षिक शुल्क ₹200 से बढ़ाकर ₹300 कर दिया है। साथ ही, यदि ग्राहक को कार्ड री-इश्यू कराना है, तो भी उसे ₹300 चुकाने होंगे। ये शुल्क सीधे उन ग्राहकों पर असर डालेंगे जो डेबिट कार्ड का नियमित उपयोग करते हैं।
4. नकद जमा और चेक से लेन-देन पर भी अब शुल्क
ICICI बैंक अब हर ₹1,000 की नकद जमा या चेक ट्रांजैक्शन पर ₹2 लेगा। इसकी न्यूनतम सीमा ₹50 और अधिकतम ₹15,000 रखी गई है। इसका सीधा असर उन पर पड़ेगा जो बैंक ब्रांच जाकर नकद जमा या चेक के जरिए लेन-देन करना पसंद करते हैं।
ग्राहकों पर असर
इन सभी बढ़े हुए शुल्कों का सीधा प्रभाव आम ग्राहकों पर पड़ेगा। खासतौर पर वे लोग जो अक्सर एटीएम से नकदी निकालते हैं या फिर क्रेडिट कार्ड से डिजिटल सेवाओं का भुगतान करते हैं, उन्हें अब ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
वहीं दूसरी तरफ, यह बदलाव डिजिटल पेमेंट को अपनाने की दिशा में एक और प्रेरणा बन सकता है। अब ज्यादा से ज्यादा ग्राहक UPI, नेट बैंकिंग और मॉबाइल वॉलेट्स जैसे माध्यमों को अपनाने पर विचार करेंगे, जिससे न केवल शुल्क से बचा जा सकेगा, बल्कि लेन-देन भी ज्यादा तेज़ और सुरक्षित होगा।
ग्राहक क्या करें?
बढ़े हुए शुल्क से बचने के लिए ग्राहक अपनी बैंकिंग आदतों में बदलाव कर सकते हैं:
- एटीएम से अनावश्यक नकदी निकालने से बचें और महीने के मुफ्त ट्रांजैक्शन का पूरा उपयोग करें।
- UPI, नेट बैंकिंग, और अन्य डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को प्राथमिकता दें।
- अगर आप वॉलेट लोडिंग या ऑनलाइन गेमिंग के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो वैकल्पिक भुगतान विकल्पों पर विचार करें।
इन छोटे बदलावों से आप साल भर में अच्छी-खासी बचत कर सकते हैं।
क्या यह बदलाव सकारात्मक है?
अगर इसे डिजिटल इंडिया के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो यह बदलाव सही दिशा में एक कदम माना जा सकता है। बैंकों की ओर से नकदी पर निर्भरता कम करने की कोशिश की जा रही है। डिजिटल ट्रांजैक्शन तेज़, ट्रैक करने योग्य और कम लागत वाले होते हैं।
सरकार और बैंकिंग सेक्टर दोनों ही कैशलेस इकोनॉमी की ओर आगे बढ़ रहे हैं, और यह बदलाव उसी का हिस्सा है।
नकदी पर निर्भर ग्राहकों के लिए चुनौती
हालांकि यह बदलाव सभी के लिए फायदेमंद नहीं है। जो लोग अभी भी नकदी पर निर्भर हैं, खासकर छोटे व्यापारी, ग्रामीण इलाकों के ग्राहक, और वरिष्ठ नागरिक, उनके लिए यह शुल्क बोझ बन सकता है।
तकनीक की जानकारी न होना और डिजिटल पेमेंट के प्रति झिझक ऐसे लोगों को कठिनाई में डाल सकती है। ऐसे में, बैंकों को चाहिए कि वे इन ग्राहकों को डिजिटल पेमेंट सिखाने के लिए सहायक कार्यक्रम चलाएं ताकि वे इस बदलाव से खुद को जोड़ सकें।
निष्कर्ष
बैंकों द्वारा शुल्क में की गई बढ़ोतरी से ग्राहकों पर सीधा असर पड़ेगा, लेकिन यह डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के नजरिए से एक सकारात्मक कदम भी हो सकता है।
ग्राहकों को चाहिए कि वे अपने लेन-देन की आदतों पर दोबारा विचार करें, डिजिटल विकल्पों को अपनाएं, और समझदारी से खर्च करें। बदलाव अनिवार्य है, लेकिन उसके साथ खुद को ढालना ही सबसे ज़रूरी है।